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स्कूल सिर्फ़ स्कूल नहीं होते। - Lakshmi Ghosh
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स्कूल सिर्फ़ स्कूल नहीं होते। - Lakshmi Ghosh

Lakshmi Tahiliani Ghosh, MPhil Chemistry, a post-graduate in Education and, an APS-CSB and CTET qualified teacher, TGT Science at Hyderabad for the last 6 years, worked as a lecturer for 2 years, and as a translator, content developer and editor in the Hindi language for 5 years. औपचारिक शिक्षा की शुरुआत शायद लिखने की शुरुआत के तुरंत बाद लगभग 2000 ईसा पूर्व के मिस्र में हुई थी, कि लिख पाना इज़ाद करने के बाद उसे अगली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी था। कहा जाता है कि स्कूल अपने आधुनिक रूप को सबसे पहले 1635 में अमरीका के बॉस्टन लैटिन स्कूल के द्वारा प्राप्त हुए। हालांकि विभिन्न देशों के इतिहास अलग अलग बात कहते हैं। शुरुआती स्कूल केवल शासकों और उनके वंशजों को शिक्षित करने के लिए बने थे मगर धीरे धीरे वह सर्व सामान्य के हाथ आ सके। औपचारिक, अनौपचारिक, गुरुकुल पद्धति या अन्तर्राष्ट्रीय प्रणाली से संचालित, रॉयल या पब्लिक, ग्लोबल या नेशनल, ऑफ लाइन या ऑन लाइन स्कूल हमेशा से भविष्य संचालित करने वाली पीढ़ी के सबसे करीब रहे हैं और इसलिए उनका स्वरूप भी विकसित होता आया है। स्कूल पढ़ने-पढ़ाने व सीखने-सिखाने को ज़रूर बने हैं, मगर वह कदापि पढ़ने-पढ़ाने व सीखने-सिखाने तक सीमित नहीं हैं, स्कूल सिर्फ़ स्कूल नहीं हैं! --- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/learningforward/support

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